दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने शराब नीति क्या बदली, स्टेट की राजनीति में भूचाल आ गया. मामला यहां तक पहुंच गया कि फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई महीनों से जेल में हैं. इसी मामले में एक अहम चेहरा पी शरत चंद्र रेड्डी (P. Sarath Chandra Reddy) भी हैं. कल (30 जुलाई 2024) केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कथित शराब घोटाले में शरत रेड्डी को एक अहम आरोपी बताया है. साउथ इंडिया में रहने वाला शरत रेड्डी है कौन, और उसका नाम दिल्ली की शराब नीति से जुड़े मामले में कैसे आया? चलिए जानते हैं.
शरत चंद्र रेड्डी हैदराबाद बेस्ड अरबिंदो फार्मा (Aurobindo Pharma) के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. यह जानकारी फार्मास्युटिकल कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई है. अरबिंदो फार्मा की स्थापना शरत रेड्डी के पिता पी. वी. राम प्रसाद रेड्डी ने 1986 में की थी. जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनियों में अरबिंदो फार्मा का एक बड़ा नाम है. शेयर बाजारों में लिस्डेट कंपनी का मार्केट कैप फिलहाल 83,141 करोड़ से कुछ अधिक है.
शरत ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री प्राप्त करने के बाद अपनी कंपनी के साथ काम शुरू किया था. शरत के नेतृत्व में कंपनी ने काफी देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी विस्तार किया. अपने प्रोडक्ट्स के पोर्टफोलियो और दवा निर्माण क्षमताओं को भी काफी बढ़ाया. शरत रेड्डी अपनी स्ट्रैजेडी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं. वे हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करते रहे हैं और इसी के बूते कंपनी ने काफी वृद्धि की है. शरत रेड्डी की निजी जिंदगी के बारे में कोई खास जानकारी सार्वजनिक नहीं है.
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शरत रेड्डी दवा निर्माण के साथ-साथ शराब से जुड़े बिजनेस में भी हैं. पढ़ाई के बाद और अरबिंदो फार्मा ज्वाइन करने से पहले वे एक शराब कंपनी संभाल रहे थे. बाद में इस कंपनी को अरबिंदो फार्मा में ही मिला दिया गया. शराब के बिजनेस में होने के चलते ही उनका नाम दिल्ली के कथिथ शराब घोटाले में आया है.
शराब घोटाले की टाइमलाइन में शरत रेड्डी
- 2020-2021: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार एक नई आबकारी नीति बनाती है, जिसका उद्देश्य राजस्व बढ़ाना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना और शराब माफिया पर अंकुश लगाना बताया गया.
- नवंबर 2021: नई आबकारी नीति दिल्ली में लागू होती है, जिससे प्राइवेट प्लेयर्स को शराब के रिटेल बिजनेस में प्रवेश करने और शहर को 32 क्षेत्रों में विभाजित करने की अनुमति मिलती है, जिनमें से प्रत्येक में कई शराब की दुकानें होंगी.
- 2022 की शुरुआत: नई नीति के तहत शराब लाइसेंस के आवंटन में अनियमितताओं और पक्षपात के आरोप सामने आने लगते हैं.
- जुलाई 2022: दिल्ली के उपराज्यपाल नई आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए सीबीआई जांच का आदेश देते हैं, जिसमें स्थापित मानदंडों और प्रक्रियाओं के उल्लंघन का हवाला दिया जाता है.
- नवंबर 2022: अरबिंदो फार्मा के संस्थापक पी.वी. राम प्रसाद रेड्डी के बेटे और आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के प्रमुख पी. शरद चंद्र रेड्डी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया जाता है. उन पर “साउथ ग्रुप” का प्रमुख होने का आरोप लगता है. कहा जाता है कि इसी ग्रुप ने दिल्ली सरकार को रिश्वत देकर घोटाले को अंजाम दिया.
- फरवरी 2023: ईडी आरोपपत्र दाखिल करता है, जिसमें घोटाले में विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं के शामिल होने का ब्यौरा दिया गया है, जिसमें शरत चंद्र रेड्डी और ट्रिडेंट केमफार लिमिटेड शामिल हैं.
- मई 2023: शरत चंद्र रेड्डी को स्वास्थ्य कारणों से जमानत मिलती है.
- जून 2023: शरत चंद्र रेड्डी मामले में सरकारी गवाह मतलब अप्रूवर बन जाते हैं, और जांच में सहयोग करने के लिए सहमत हो जाते हैं.
2023 के अंत में सांसद मागुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और उनके बेटे राघव मागुंटा, जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था, भी अप्रूवर बन जाते हैं. ईडी खुलासा करता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित तौर पर पूर्व तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता से रेड्डी परिवारों को शराब के व्यवसाय में शामिल करने के लिए कहा था.
सरकारी गवाह बनने के बाद रेड्डी कहते हैं कि उन्हें बीआरएस नेता के. कविता ने कथित तौर पर धमकाया था और शराब नीति के तहत 5 खुदरा क्षेत्रों पर अधिकार के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को 25 करोड़ रुपये एडवांस में देने के लिए मजबूर किया था. प्रत्येक खुदरा क्षेत्र के लिए 5 करोड़ रुपये बिचौलियों के माध्यम से AAP को दिए जाने थे.
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आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का नाम लेने के बाद शरत रेड्डी को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत दी गई. शरत रेड्डी के बयानों को आधार बनाकर ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया. अरबिंदो फार्मा कंपनी पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली शराब घोटाले में भूमिका निभाई और नई नीति के तहत 5 शराब खुदरा क्षेत्रों के लिए लाइसेंस हासिल किया.
कंपनी ने खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शरत रेड्डी और कंपनी के खिलाफ जो केस डाला था, उसके बाद शरत रेड्डी अप्रूवर बन गए. शरत की कंपनी अरबिंदो फार्मा ने 50 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इन 50 करोड़ का बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी को मिला.
रेड्डी की हैदराबाद स्थित कंपनी अरबिंदो फार्मा ने 3 अप्रैल 2021 से 8 नवंबर 2023 के बीच चुनावी बॉन्ड खरीदे थे, जिसमें 34.5 करोड़ रुपये भाजपा को, 15 करोड़ रुपये भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को और 2.5 करोड़ रुपये तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को दिए गए. कंपनी ने ईडी द्वारा रेड्डी की गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद 15 नवंबर 2022 को 5 करोड़ रुपये के और चुनावी बॉन्ड खरीदे.
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FIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 13:09 IST