महात्मा गांधी पहली बार 1969 में नोट पर नजर आएये काम गांधी की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर हुआ.गांधी का फोटो एक मूल चित्र से लिया गया कटआउट है
Gandhi on Indian Currency: हर देश की करेंसी अपना इतिहास बयां करती है. कई देशों के नोटों पर उनके महान नेताओं या संस्थापकों की तस्वीरें हैं. ये देश इस तरह अपने नेताओं को सम्मान देते हैं. अमेरिका में जॉर्ज वॉशिंगटन, पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना और चीन में माओत्से तुंग अपने यहां की करेंसी नोटों पर नुमायां हैं. तो भारत में करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी मौजूद हैं. जबकि वास्तविकता यह है कि आजादी मिलने के बाद शुरुआत में करेंसी नोटों पर गांधी जी की फोटो छापने का प्रस्ताव ठुकरा दिया गया था. लंबे समय बाद राष्ट्रपिता गांधी जी हमारे करेंसी नोटों की शोभा बढ़ाने लगे.
आजादी के बाद यही माना जा रहा था कि ब्रिटेन के राजा की जगह अब नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगेगी. इसके लिए डिजाइन भी तैयार कर लिए गए थे. लेकिन आखिर में सहमति इस बात पर बनी कि महात्मा गांधी की तस्वीर के बजाय करेंसी नोट पर अशोक स्तंभ या अशोक की लाट को छापा जाना चाहिए. तब इस बात पर सहमति नहीं बन पायी थी कि भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी का फोटो होना चाहिए.
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22 साल लगे नोटों पर आने में
सभी लोग नोटों का लेनदेन तो रोज करते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को ये बात मालूम होगी कि महात्मा गांधी की तस्वीर आखिर पहली बार कब भारतीय करेंसी नोट पर आई. ये बात हैरान करने वाली है कि आजादी के काफी समय बाद महात्मा गांधी की तस्वीर भारतीय नोटों यानी कागज पर मुद्रित भारतीय करेंसी पर आयी. ये काम आजादी के 22 साल बाद जाकर हो पाया. वो भी केवल एक रुपये के नोट पर.
गांधी की जगह अशोक स्तंभ
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के मुताबिक भारत सरकार ने पहली बार 1949 में एक रुपये के नोट का नया डिजाइन तैयार किया. उस समय आजाद भारत के लिए एक नए चिह्न को चुना जाना था. लेकिन उस समय यही तय हुआ कि महात्मा गांधी की फोटो के बजाय नोट पर अशोक स्तंभ छापा जाए. इसके अलावा नोट के डिजाइन में बहुत अधिक बदलाव नहीं किए गए थे. उसके बाद साल 1950 में भारतीय गणराज्य में पहली बार दो, पांच, 10 और 100 रुपये के नोट जारी किए गए. लेकिन उस पर भी महात्मा गांधी का चित्र नहीं था.
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नोटों पर मनाया प्रगति का जश्न
आजादी के बाद कई सालों तक, करेंसी नोटों ने भारत की समृद्ध विरासत और प्रगति का जश्न मनाया. 1950 और 60 के दशक के नोटों पर बाघ और हिरण जैसे राजसी जानवरों की तस्वीरें प्रदर्शित की गईं. हीराकुंड बांध और आर्यभट्ट उपग्रह जैसे औद्योगिक उन्नति के प्रतीक, और बृहदेश्वर मंदिर भी नोटों पर नजर आए. ये सब दर्शाते थे कि विकास और आधुनिकीकरण के साथ-साथ देश की सांस्कृतिक विरासत पर नए भारत का फोकस है.
पहली बार कब नोट पर आए
महात्मा गांधी पहली बार 1969 में करेंसी नोट पर नजर आए. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1969 में एक रुपये का नोट महात्मा गांधी की फोटो के साथ जारी किया. ये काम आरबीआई ने महात्मा गांधी की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर किया था. इसमें महात्मा गांधी को बैठे हुए दिखाया गया था और पृष्ठभूमि में सेवाग्राम आश्रम था. पहली बार एक रुपये के नोट पर नजर आने के बाद महात्मा गांधी पर नोटों की पूरी सीरीज आजादी के 49 साल बाद जारी की गई.
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कहां से लिया गांधी का फोटो
भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी का जो फोटो अंकित होता है, वो कोई कैरिकेचर नहीं है, बल्कि एक मूल चित्र से लिया गया कटआउट है. ये तस्वीर 1946 में राष्ट्रपति भवन (तब वाइसराय हाउस) के बाहर की है. उनके साथ इस चित्र में उनके साथ ब्रिटिश नेता लार्ड फ्रेडरिक विलियम पैटिक लारेंस थे.
500 के नोट पर भी आए नजर
18 साल बाद फिर आरबीआई ने एक और नोट पर महात्मा गांधी की फोटो छापी. ये साल 1987 में आया 500 रुपये का नोट था. हालांकि इस नोट को बाद में 1996 में आरबीआई ने बंद कर दिया था. लेकिन 1996 में रिजर्व बैंक ने महात्मा गांधी के फोटो के साथ नोटों की नई सीरीज छापी. इसमें सभी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर अंकित थी. महात्मा गांधी सीरीज के ये नोट नए सिक्योरिटी फीचर्स के साथ छापे गए थे. इसके वॉटरमार्क भी बदल गए थे. इस नोट में ऐसे फीचर शामिल किए गए कि ब्लाइंड लोग भी इसकी पहचान आसानी से कर लें.
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क्यों उठी फोटो हटाने की बात
पिछले कुछ सालों में नोटों पर गांधी की फोटो बदलने के लिए विभिन्न समूहों की ओर से समय-समय पर मांगें उठती रही हैं. जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और यहां तक कि लक्ष्मी और गणेश जैसे देवताओं को विकल्प के रूप में प्रस्तावित किया गया है. लेकिन ऐसी किसी भी मांग को खारिज कर दिया गया था. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री रहे अरुण जेटली ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “रिजर्व बैंक पैनल ने तय किया है कि बैंक नोटों पर महात्मा गांधी के अलावा किसी अन्य नेता की फोटो नहीं लगाई जा सकती है. क्योंकि इस देश को महात्मा गांधी के अलावा कोई अन्य शख्सियत बेहतर तरीके से पेश नहीं करती. ”
Tags: Gandhi Jayanti, Indian currency, Mahatma gandhi, RBI Governor, Rbi policy
FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 17:43 IST