हमारे वोट से विधायक-मंत्री बने, और हमारी ही जेब के पैसों से टैक्स भरेंगे, ऐसा कहीं होता है?

देश के कई राज्‍यों में मंत्रियों-विधायकों का इनकम टैक्‍स जनता भरती है. सरकारी खजाने से उनका इनकम टैक्‍स भरा जाता है. अब तेलंगाना में इसके ख‍िलाफ आवाज उठी है. जानें यूपी, मध्‍य प्रदेश और ह‍िमाचल में क्‍या कानून है.

मंत्री और विधायक जनता की सेवा के ल‍िए होते हैं. लेकिन देश के कई राज्‍यों में आज भी मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और अन्‍य माननीयों के इनकम टैक्‍स का भुगतान सरकारी खजाने से होता है. वर्षों से यह ‘प्रथा’ चली आ रही है, जिसे अब तेलंगाना में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट में दायर एक जनह‍ित याच‍िका में मांग की गई है क‍ि जो लोग हमारे ही वोट से विधायक बनकर सत्‍ता में पहुंचते हैं, उनका इनकम टैक्‍स हमारे ही पैसों से क्‍यों भरा जाए? इस पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार को नोटिस जारी क‍िया है और पूछा है क‍ि क्‍यों न इस प्रथा को बंद कर दिया जाए. कुछ महीनों पहले मध्‍य प्रदेश सरकार ने अपने यहां लागू इसी तरह की प्रथा पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. यूपी और ह‍िमाचल प्रदेश सरकार ने भी ऐसी छूट समाप्‍त कर दी है.

इन लोगों का इनकम टैक्‍स भरती सरकार
दरअसल, तेलंगाना में मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों के अलावा व‍िधानसभा के स्‍पीकर, डिप्‍टी स्‍पीकर, विधान पर‍िषद के चेयरमैन, डिप्‍टी चेयरमैन और कैबिनेट रैंक वाले सभी सरकारी सलाहकारों का इनकम टैक्‍स सरकारी खजाने से चुकाया जाता है. इसे जनता की कमाई का मनमाना खर्च बताते हुए फोरम फॉर गुड गवर्नेंस एनजीओ ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इनकी मांग है क‍ि आंध प्रदेश वेतन और पेंशन भुगतान और अयोग्यता अधिनियम, 1953 की धारा 3 (4) के इन प्रावधानों को समाप्‍त क‍िया जाए. मुख्‍यमंत्री, मंत्री और अन्‍य सभी लोग अपना इनकम टैक्‍स खुद भरें.

जब उन्‍हें भी मिलता सबकी तरह वेतन तो…
तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्‍ट‍िस आलोक अराधे और न्यायमूर्ति जुकांति अनिल कुमार की खंडपीठ ने इसे गंभीर विषय माना. कोर्ट ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (GAD) को जल्‍द जवाब दाख‍िल करने को कहा. याचिकाकर्ता की दलील है कि मुख्यमंत्री, मंत्री और अन्य लोग लोक सेवक हैं. उन्हें राज्य सरकार से वेतन मिलता है. जब उन्हें वेतन दिया जाता है, तो वे अन्य सभी नागरिकों की तरह आयकर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होते हैं. जब राज्‍य का बंटवारा हुआ तो तेलंगाना सरकार ने कानून में बदलाव कर अपने ह‍िसाब से कानून बना ल‍िया. तब से सबका इनकम टैक्‍स सरकार भर रही है. इस कानून को रद्द क‍िया जाना चाह‍िए.

यूपी-एमपी-ह‍िमााचल पहले ही कर चुके हैं खत्‍म

  • हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने 2022 में कानून में बदलाव क‍िया था. साफ कहा गया था क‍ि सभी मंत्री और विधायक अपना इनकम टैक्‍स अपनी जेब से भरेंगे. सरकार इसके ल‍िए एक भी पैसा नहीं देने वाली है.
  • उत्‍तर प्रदेश सरकार ने 2019 में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को अपना आयकर चुकाने से छूट देने वाले कानून में संशोधन क‍िया था. अब यहां के सभी मंत्री और व‍िधायक अपना इनकम टैक्‍स खुद चुकाते हैं.
  • मध्य प्रदेश सरकार ने कुछ महीनों पहले ही निर्णय लिया कि राज्य के मंत्री अपने वेतन और भत्ते का भुगतान स्वयं करेंगे. इससे 1972 में बना वह कानून समाप्‍त हो गया, जिसके तहत राज्‍य सरकार इमरजेंसी फंड से इनका इनकम टैक्‍स चुकाती थी.

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