Squawk Codes: प्लेन में कोई ऐसा भी है, जो पायलट के बिना बोले, उसके दिल की बात समझ लेता है. इतना ही नहीं, समय-समय पर वह बेहद गोपनीय तरीके से एयर ट्रैफिक कंट्रोल ( एटीसी) को तमाम खतरों का अहसास भी करा देता है. इसके अलावा, जब भी कोई प्लेन किसी एक एयरपोर्ट से दूसरे एयरपोर्ट के लिए टेकऑफ करता है, तब पूरे रास्ते प्लेन की हर मूवमेंट को सीधे एटीसी के रडार में दर्शाने का काम यही करता है. दरअसल, आज हम बात कर रहे हैं एयरक्राफ्ट स्क्वाक कोड (Squawk Code) की.
तो चलिए, अब आपको बताते हैं कि क्या होता है स्क्वाक कोड और फ्लाइट ऑपरेशन में इसकी भूमिका कितनी अहम है. दरअसल, स्क्वाक कोड चार अंकों का एक ऐसा कोड है, जो टेकऑफ करने से पहले किसी भी प्लेन को एटीसी की तरफ से दिया जाता है. चार अंको का यह यूनिक नंबर 0000 से 7777 के बीच होता है. पूरी यात्रा के दौरान किसी भी प्लेन को एटीसी के रडार में इन्हीं चार अंकों वाले यूनिक स्क्वाक कोड के जरिए पहचाना जाता है. साथ ही, इसी स्क्वाक कोड के जरिए प्लेन की मूवमेंट रिकार्ड की जाती है.
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, मौजूदा समय में स्क्वाक कोड के चार हजार से अधिक यूनिक कॉम्बिनेशन्स हैं, निकली मदद से एयर स्पेस में एयक्राफ्ट की पहचान की जाती है. जबभी कोई एयरक्राफ्ट किसी एटीसी स्पेस में प्रवेश करता है, तब संबंधित एटीसी की तरफ से उसे स्क्वाक कोड दिया जाता है. एटीसी से मिले इस स्क्वाक कोड को पायलट एयरक्राफ्ट के ट्रांसपोंडर में फीड करता है. इसके बाद, पूरी यात्रा के दौरान यह कोड एयरक्राफ्ट ट्रांसपोंडर एटीसी रडार को ट्रांसमीट करता रहता है.
क्यों पड़ती है स्क्वाक कोड की जरूरत?
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, एयरक्राफ्ट के टेकऑफ होने से लेकर लैंडिंग तक एटीसी के रडार उसकी मूवमेंट को ट्रैक करते हैं. वहीं, एटीसी के रडार में ये एयरक्राफ्ट एक डॉट के रूप में नजर आते हैं. ऐसी स्थिति, में यदि बहुत सारे एयरक्राफ्ट एक ही एटीसी के एरिया में आ जाएं, तो सिर्फ डॉट के जरिए एयरक्राफ्ट की पहचान कर पाना लगभग असंभव हो जाएगा. ऐसी स्थिति से बचने के लिए स्क्वाक कोड की मदद ली जाती है. रडार में स्क्वाक कोड एयरक्राफ्ट के डॉट के ठीक बगल में नजर आता है.
कैसे बिन बोले समझ लेता है पायलट के मन की बात?
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, 0000 से 7777 के बीच स्क्वाक कोड के हजारों कॉम्बिनेशन हैं, जिसमें एक नंबर टेकऑफ से ठीक पहले किसी प्लेन के पायलट को दिया जाता है. लेकिन कुछ स्क्वाक कोड ऐसे भी है, जो सांकेतिक रूप में अपना एक मतलब रखते हैं. विपरीत परिस्थितियों में पायलट इन्हीं स्क्वाक कोड के जरिए अपने मन में चल रही बात को बिना बोले एटीसी तक तक पहुंचा देते हैं. उदाहरण के तौर पर 7500 स्क्वाक कोड प्लेन में ‘अनलॉफुल इंटरफेंस’ या ‘हाईजैक’ का सूचक है. जैसे ही कोई पायलट एयरक्राफ्ट ट्रांसपोंडर में 7500 फीड करेगा, एटीसी को तुरंत पता चल जाएगा कि प्लेन हाईजैक हो चुका है.
कैसे ATC को करा देता है तमाम खतरों का अहसास?
एविएशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, 7500 की तरह बहुत सारे स्क्वाक कोड ऐसे हैं, जिनका अपना मतलब है. उदाहरण के तौर पर, स्क्वाक कोड 7600 फीड करते ही एटीसी को यह पता चल जाता है कि पायलट उनकी बात सुन तो सकता है, लेकिन उस पर रिस्पॉन्ड नहीं कर सकता है. यदि पायलट ने स्क्वाक कोड 7600 यूज किया है तो इसका मतलब है जनरल इमरजेंसी. इस तरह, पायलट और एटीसी कंट्रोल के बीच बहुत सारे ऐसे स्क्वाक कोड होते हैं, जिसकी मदद से वे दोनों बिना बोले आपस में संवाद कर सकते हैं.
Tags: Airport Diaries, Airport Security
FIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 09:25 IST